कैसे हुआ तालिबान का जन्म | तालिबान का पूरा इतिहास क्या है -hindifacts.in
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अगस्त 29, 2023
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History of Taliban in hindi
हेल्लो दोस्तों! hindifacts.in में आपका हार्दिक स्वागत हे.सबसे पहले आपको मेरा आदाब. तो चलिए अब बढ़ते हे आज के लेख की तरफ जो हे Taliban history in hindi. दोस्तों जैसा की हम सभी लोग जानते हे की, पिछले कुछ दिनों से सारे अखबारों और टीवी पर तालिबान नामक संगठन छाया हुआ हे. लेकिन क्या आपको पता हे की आखिर ये, तालिबान का जन्म कैसे हुआ और तालिबान का पूरा इतिहास क्या है?
तो दोस्तों आज हम इन्ही सवालों से जुड़े जवाब और तथ्यों को आपके सामने प्रस्तुत करने वाले हे. मुजे उम्मीद हे की आपको पसंद आएगा. अगर कोई और सवाल या सुजाव हो तो आप निचे कमेंट बॉक्स में लिख कर आपना सुझाव दे सकते हे.तो चलिए सुरु करते हे.
taliban history in hindi
Q-1)तालिबान क्या हे?
दोस्तों तालिबान किसी देश का नाम नहीं हे बल्कि यह कुछ छात्रो द्वारा बनाया गया एक आतंकवादी संगठन हे. जिसको सितम्बर 1994 में बनाया गया था. पस्तु भाषा में तालिबान का मतलब होता हे “छात्र”. ईस संगठन को मुल्लाह ओमरने बनाया था तक़रीबन 50 विद्यार्थियों के साथ मिलकर.
taliban history in hindi
शुरुआत से ही इनकी सोच धार्मिक कट्टरवादी प्रकार की रही हे जिसको हम आगे विस्तार से देखेंगे. 19 वी सदी में जब कम्युनिस्ट पार्टी का प्रभाव अफ़ग़ानिस्तान में बढ़ने लगा था तब इन कट्टरवादियो को लगा की इस्लाम संकट में हे. और तभी जन्म हुआ “तालिबान” का.
असल में अगर हम इतिहास में एक बार नजर घुमाएँगे तो हमें दिखेगा की ईस संगठन के बनने के पीछे अमेरिका का एक बड़ा हाथ हे. जोकि सीधा नहीं हे लेकिन अमेरिका भी उतनी ही जिम्मेदार हे जितना सोवियत संघ! चलिए अब आप ज्यादा दिमाग मत लगाइए और चलते हे एक नजर इतिहास में भी झांक लेते हे.
Q-2) तालिबान का पूरा इतिहास क्या हे?
तालिबान के बारे में जानने से पहले हमें इतिहास में थोडा और पीछे जाना होगा. जब अफ़ग़ानिस्तान दो बड़े देश अमेरिका और सोवियत संघ के बिच में फंसा हुआ था. दोस्तों आपको बता दूँ की अफ़ग़ानिस्तान देश की हालत शुरुआत से ही अच्छी नहीं रही हे. और इतिहास के पन्नो में पहले से ही बहोत उथल-पथल मची हुई हे.
👉ब्रिटशो का अफ़ग़ानिस्तान पर शासन( सन 1918)
दोस्तों ये बात हे सन 1918 की जब अफ़ग़ानिस्तान में ब्रिटिशो का राज हुआ करता था. उस वख्त अफ़ग़ानिस्तान में कम्युनिस्टों (साम्यवादी ) का दबदबा हुआ करता था. लेकिन फिर होती हे आज़ादी की लड़ाई सन 1919 में. यह लड़ाई थी ब्रिटिश और अफ़ग़ानिस्तान के बिच में. जिसे THIRD ANGLO-AFGHAN WAR भी कहा जाता हे.
युद्ध के अंत में अफ़ग़ानिस्तान विजय प्राप्त करता हे और ब्रिटिश देश छोड़ कर चले जाते हे. और अफ़ग़ानिस्तान एक स्वतंत्र देश बन जाता हे. लेकिन ये अभी कहाँनी की शुरुआत ही हुई हे.
सवतंत्रता प्राप्त करने के बाद इमिर अमानुल्लाह खान ने खुदको अफ़ग़ानिस्तान का राजा घोषित किया. राजाशाही कार्यप्रणाली आने के बाद उन्होंने बहुत सारे अच्छे काम किए और देश की प्रगति में अच्छी भागीदारी दिखाई. लेकिन उसके बाद नए राजा बनते हे सन 1933 में मोहमद झाकिर शाह. और ये अगले 40 साल तक राज करते हे.
फिर वहा होता हे एक बहुत बड़ा बदलाव और राजशाही को ख़तम करके सन 1964 में ELECTION की सुरुआत होती हे. और इसमें देश का हर नागरिक वोट दे सकता था.
history of taliban in hindi
इलेक्शन के लिए 2 मुख्य पार्टी सामने आती हे जैसा की आप ऊपर के चित्र में देख सकते हो.
1)PDPA (People Democratic Party of Afghanistan)
2)ISLAMIC PARTY (ईस्लामिक पार्टी)
उस वख्त वहाँ के नए शासक बनते हे झहीर शाह. लेकिन सन 1973 में उनके प्राइम मिनिस्टर दाउद खान आर्मी और कम्युनिस्ट के साथ मिलकर तख्ता-पलट कर देता हे, जब झहीर शाह दुसरे देश के दौरे पर होते हे तब. और अफ़ग़ानिस्तान को Republic देश घोषित कर देता हे.
इसके बाद झहीर खान बहुत अच्छी तरक्की करता हे देश की. और देश की बेंको को Nationalize भी करता हे. हालाँकि आपको जानकर हैरानी होगी! लेकिन, 1960-1970 के दौरान अफ़ग़ानिस्तान एक खुशहाल देश हुआ करता था. और अलग अलग देशो से लोग वहाँ पर घुमने के लिए जाया करते थे.
लेकिन जब जब अफ़ग़ानिस्तान कुछ अच्छा कर रहा होता हे तब तब कोई न कोई मुसीबत जरुर दस्तक दे देती हे. और कुछ ऐसा ही हुआ क्यूंकि अफ़ग़ानिस्तान अमेरिका और सोवियत संघ के कोल्ड वॉर के बीच में फँस जाता हे.
👉अमेरिका और सोवियत यूनियन संघ के बीच कोल्ड वॉर ( सन 1975)
दोस्तों अब यहाँ से शुरुआत होती हे तालिबान के पनप ने की. वो कैसे आगे बताता हूँ. दोस्तों उस वख्त दाउद खान देश में आधुनी करण लाने के लिए सोवियत यूनियन का साथ लिया करता था. लेकिन जब भारत देश आजाद हुआ तो उसने एक अलग खुदका वजूद पाने के लिए किसी एक देश पर निर्भर न रह कर सभी देशो के साथ दोस्ती का हाथ बढाता हे. और भारत के साथ साथ U.S.A. के साथ भी दोस्ती बनाता हे. लेकिन ईस बात से सोवियत यूनियन खुश नहीं होता क्यूंकि इसकी वजह से कम्युनिस्ट कमजोर हो रहे थे.
इसी बीच अफ़ग़ानिस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी PDPA के बिच भी अंदरूनी लड़ाई सुरु हो जाती हे जिसकी वजह से PDPA में भी 2 पार्टी बन जाती हे.
1)KHALQ
2)PARCHAM
और इसकी वजह से सन 1978 में एक कम्युनिस्ट की हत्या हो जाती हे जिसकी वजह से सिविल वॉर छिड़ जाती हे. और दाउद खान की हत्या कर दी जाती हे. फिर नूर मुहम्मद तारकी को नया प्रेसीडेंट बनाया जाता हे कम्युनिस्ट पार्टी का.
यहाँ से कहानी एक नया मोड़ लेती हे! उस वख्त के प्रेसीडेंट नूर मोहम्मद तारकी बहोत सारे काम करते हे. ज्यादातर इसमें वह इस्लाम की तरफ से बोलते हुए दीखते थे.
लेकिन सब कुछ करने के बाद भी इस्लामिस्ट कट्टरपंथीओ को लगता हे की धर्म (इस्लाम) खतरे में हे और इसीलिए वहाँ पर सिविल वॉर सुरु हो जाती हे कम्युनिस्टों के खिलाफ.और सन 1979 में ईस सिविल वॉर में नूर मोहम्मद की भी हत्या कर दी जाती हे वोभी उनके ही कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य हफिजुल्लाह के द्वारा.
इन सभी चीजो को देख सोवियत यूनियन भी कैसे चुप रह सकता था भला! क्यूंकि अब उसे भी लगने लगा था की अफ़ग़ानिस्तान में कम्युनिस्ट कमजोर हो रहे हे. इसीलिए उसने भी कम्युनिज्म को बचाने के अफ़ग़ानिस्तान में कम्युनिस्ट को फंडिंग और कई तरह से मदद करने लगता हे.
👉अमेरिका द्वारा मुजाहिद्दीन को फंडिंग और हथियार की सप्लाई
अब यहाँ से अमेरिका अहेम(महत्वपूर्ण) हिस्सा निभाता हे तालिबान को जन्म देने में. क्यूंकि अगर अमेरिका अपनी नाक इसमें नहीं घुसाता तो शायद आज परिणाम कुछ और होता. तो चलिए जानते हे.
सोवियत यूनियन को मदद करते देख अमेरिका को लगता हे की अगर अफ़ग़ानिस्तान भी सोवियत के साथ मिल जाएगा तो हम कमजोर हो जाएँगे और दुनिया में हमारा प्रभाव कम हो जाएगा.
इसी वजह से अब अमेरिका भी बहोत सारी फंडिंग और हथियार सप्लाई करना सुरु कर देता हे Islamist और मुजाहिद्दीन को. जिसका मकसद कम्युनिस्ट विचारधारा को ख़त्म करने का था.
ऐसे में सोवियत यूनियन को जब लगता हे की उनका प्रभाव कम हो रहा हे तो वो हफिज्जुल्लाह आमीन को मरवा देते हे. और अपने ही एक नये प्यादे को लाते हे. जिसका नाम बब्रक करमल होता हे. इनके सत्ता में आने के बाद यह अफ़ग़ानिस्तान में कई तरह के नए कानून लाते हे. जैसे की, Free Election, Right to protest,और Freedom of Speech… और थोड़ी मशक्कत करने के बाद थोड़ी शांति नजर आने लगती हे.
लेकिन इतना कुछ होने बाद भी अमेरिका अपनी फंडिंग मुजाहिद्दीन को देना नहीं छोड़ता और इसीलिए उनकी ताकत पहले के मुकाबले काफी अधिक बढ़ जाती हे.
👉आखिर कौन थे मुजाहिद्दीन?
शुरुआत में मुजाहिद्दीन Guerrilla Fighters (गोरिल्ला फाइटर) थे. जो पहाडियों में छिप कर लड़ते थे. लेकिन अमरीका द्वारा इतनी फंडिंग मिलने के बाद इन लोगो के पास आधुनिक हथियार और पैसो की कमी नहीं रही. यही फिर आगे चलके मुजाहिद्दीन बने.
उस वख्त मुजाहिद्दीन को सिर्फ अमेरिका का सपोर्ट नहीं था बल्कि पाकिस्तान और सऊदी अरेबिया भी उनके साथ था और वोभी उन्हें मदद कर रहे थे.
👉14 april 1988 PEACE AGREEMENT (शांति समझौता)
history of taliban in hindi
दोस्तों अब जब मुजहिद्दिनी और कम्युनिस्ट के बिच सिविल वॉर चल रहा तब उस वख्त के प्रेसीडेंट मोहम्मद नजीबुल्लाह इसको रोकने के लिए और अफ़ग़ानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए पाकिस्तान के साथ एक शांति समझौता करते हे. और ईस समझौते की गारंटी लेते हे अमेरिका और सोवियत यूनियन.
अफ़ग़ानिस्तान शांति समझौते में ऐसा लिखा था की अगर सोवियत यूनियन अपनी आर्मी को अफ़ग़ानिस्तान से हटा लेती हे तो अमेरिका मुजाहिद्दीनो को और इस्लामिस्ट को हथियार की सप्लाई देना बंध कर देंगे. और ईस तरह देश में शांति स्थापित किया जा सकेगा.
ईस समझौते के बाद सोवियत यूनियन अपनी सेना को फ़रवरी 1989 में वापस बुला लेती हे और अफ़ग़ानिस्तान देश को छोड़ देते हे.
इसके बाद सन 1990 में अफ़ग़ानिस्तान आजाद हो जाता हे और उसे ISLAMIC REPUBLIC OF AFGHANISTAN घोषित कर दिया जाता हे. लेकिन यहाँ पर अमेरिका ईस समझौते को नहीं मान कर एक तरीके से धोका करता हे. क्यूंकि इतने बड़े समझौते के बाद भी वह हथियारों और फंडिंग की सप्लाई चालू ही रखता हे. जबकि समझौते के तहत उसे बंध कर देना चाहिए था. और इसी वजह से मुजाहिद्दीन और ताकतवर बनते चले जाते हे.
👉तालिबान का अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा (सन 1992)
दोस्तों जैसा की हमने देखा अमेरिका अपनी फंडिंग्स के जरिए अफ़ग़ानिस्तान में कट्टरवादियो को मदद पहूँचाते रहता हे. और एक समय एसा आता हे जब लोगो को लगने लगता हे की अब इस्लाम और भी ज्यादा खतरे में हे जिसकी वजह से वहाँ पर सिविल वॉर शुरू हो जाती हे जो 1989-1992 तक चलती हे लेकिन आखिर में मुजाहिद्दीन जित जाते हे.
लेकिन अब सवाल ये होता हे की आखिर गद्दी पर बैठेगा कौन? इसी वजह से उनके अन्दर भी आपस में झगडे होते हे. और आखिरकार बुरहानुद्दीन रबानी को नया लीडर बनाया जाता हे.
परन्तु इनकी सरकार ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाती. क्यूंकि अब एक नए दुश्मन ने जन्म ले लिया होता हे जिसका नाम होता हे “तालिबान”. तालिबान मुजाहिद्दीन से भी ज्यादा कट्टरवादी थे. ईस संगठन को मुल्लाह ओमर ने 50 छात्रो के साथ मिलकर बनाया था. इस्लाम को बचाने के लिए. इनको ऐसा लगता था की इस्लाम खतरे में हे जिसका नजीता यह हुआ की उन्होंने धीरे धीरे अफ़ग़ानिस्तान के सारे इलाके पे कब कर लिया और अफ़ग़ानिस्तान पर अपना कब्ज़ा जमा लिया.
हालाँकि शुरुआत में वहाँ की जनता उनका साथ देती हे. और उन्हें लगता हे की अब सब ठीक हो रहा हे लेकिन अभी तो कहानी बाकि थी. क्यूंकि अब तालिबान की कट्टरवादी सोच धीरे धीरे दिखने लगती हे. जैसा की यह लोग पस्तुनी होने के कारण जो लोग नॉन-पस्तुनी थे उनकी हत्या करने लगते हे. वहां पर रहने वाले हिन्दुओ को अलग से बेच दी जाते हे जिससे की उनकी पहचान हो सके.
यहाँ तक की जीवन जरूरियात की चीजो पर भी प्रतिबन्ध लगाना शुरू कर देते हे. जैसे की सिनेमा, टीवी, गाना, फुटबाल, चेस, पतंग उडाना, फोटोग्राफी करना, मर्दों को अवश्य दाढ़ी रखना , यहाँ तक की इन्टरनेट पर भी प्रतिबन्ध लगाना सुरु कर देते हे.
लेकिन हद तब पार हो जाती हे जब वहां की पवित्र माने-जाने वाली भगवान बुद्धा की प्रतिमा को तोड़ दिया जाता हे. और ऐसा ही कुछ सालो तक चलता रहता हे.
👉अलकायदा द्वारा अमेरिका पर 9/11 अटैक (सन 2001)
दोस्तों अमेरिका हुए 9/11 अटैक को कौन भूल सकता हे भला! देखते ही देखते कुछ आतंकी अचानक से अमेरिका की उस वख्त की सबसे बड़ी 2 बिल्डिंग्स में एरोप्लाने(जहाज) को हाइजेक करके उन ईमारतो में टक्कर मारते हे. ये घटना पूरी दुनिया को हिला कर रख देती हे. हजारो लोग मारे जाते ईस घटना में और तब जाकर अमेरिका की आँखे खुलती. आज तक जिस शेर को वो पाल रहे थे. वही एक दिन उस पर हमला कर देता हे.
उसी दिन से अमेरिका ने बदला लेना शुरू कर दिया अलकायदा और अतंकवाद के खिलाफ. 9/11 घटना का मास्टर माइंड ओसामा बिन लादेन होता हे. जिसे तालिबान ही छिपने की जगह देता हे. ईसि वजह से अमेरिका अपना सफाई अभियान शुरू करता हे और अपनी सेना को भेजती हे अफ़ग़ानिस्तान में. और दिसम्बर 2001 में अब पुरे देश पर U.S.A. आर्मी का कब्ज़ा हो जाता हे. जिसकी वजह से तालिबान अब इधर उधर भागता फिरता हे. अमेरिकी सेना का तक़रीबन 20 साल तक कब्ज़ा रहता हे अफ़ग़ानिस्तान में और वो लड़ते रहते हे आतंकवादी के खिलाफ.
ईस कहानी का अंत आता हे जब फेब्रुवारी 2020 में अमेरिका के प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रम्प तालिबान के साथ PEACE TALK करते हे. जिसमे वो बोलते हे की अगर तालिबान अपने सारे रिश्ते काट देगा अलकायदा और आतंकवादीयों के साथ तो वो अपनी सेना को वापस अपने देश बुला लेंगे. और अफ़ग़ानिस्तान को छोड़ कर चले जाएँगे. और यही हुआ.
समझौते के तहत अब जब अमेरिका के नए प्रेसीडेंट जो.बाईडन हे वो इसको आगे ले जाते हे और अपनी सेना को वापस बुला लेते हे. जिसकी वजह से अब वापस से अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान तकता पलट कर देता हे और 15 अगस्त 2021 को जब भारत आझादी की खुसही मना रहा होता हे उसी दिन तालिबान एलान करता हे की अब अफ़ग़ानिस्तान उसके कब्जे में हे.
Q-3) Taliban ka maksad kya he?
तालिबान एक इस्लामिक संगठन हे जो अफ़ग़ानिस्तान में अपना वर्चस्व जमाना चाहता हे.और इस्लाम के नाम पर इस्लामिक कानून और धर्म का झंडा लहराना चाहता हे.
Q-4) Taliban ko kaun control karta he?
दोस्तों तालिबान का मुख्य कमांडर मुहम्मद हसन अखुंद हे. और यही इन्सान तालिबान को कण्ट्रोल कर रहा हे. यह एक राजनितिक सलाहकार के तौर पे और महत्त्व के निर्णय लेने में एक एहम भूमिका निभाता हे. 1996 से लेकर 2001 तक इसने अफ़ग़ानिस्तान जब कब्जे में था तब भी सत्ता इसने संभाली थी. और भी जब तालिबान 2021 में वापस आया हे तो इसने ही देश का कारोभार संभाला हुआ हे.
तो दोस्तों ये थी पूरी कहानी तालिबान के इतिहास की! मुझे उम्मीद हे की अब आपको सब पता चल गया होगा तालिबान कौन हे, तालिबान को कौन कण्ट्रोल कर रहा हे? और तालिबान का पूरा इतिहास क्या हे. आप हमारे और भी आर्टिकल पढ़ सकते हे.